बहुजन युवाओं की जानकारी हेतु –

जिन युवओं को राजनीति के साथ साथ मिशन मूवमेंट को बढ़ाने में दिलचस्पी है। आज का एपिसोड ऐसे युवाओं के लिए 1984 दिसंबर के लोकसभा के चुनाव की जानकारियों, जो कि बहुजन समाज पार्टी का पहला ही चुनाव था, के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियों उपलब्ध कराने के वास्ते लिख रहा हूँ। यह चुनाव इंदिरा गांधी की हत्या के तुरंत बाद ही होने के कारण कांग्रेस ने प्रचंड सहानुभूति लहर के चलते दो तिहाई से भी अधिक सीटों पर जीत दर्ज करवा कर जीता था। इस लहर में उत्तर प्रदेश की 85 सीटों में से 84 सीटें कांग्रेस पार्टी ने जीती थी। केवल एक सीट चौधरी चरण सिंह ही अपनी बचा सके थे।
इस चुनाव के लगभग सात महीने पहले बहुजन समाज पार्टी का निर्माण हुआ ही था और मान्यवर कांशीराम साहब ने अखिल भारतीय स्तर पर बहुजन समाज पार्टी को चुनाव लड़ाने का निर्णय ले लिया था। इसी के तहत पूरे देश भर के 13 राज्यों में 154 उम्मीदवारों को बहुजन समाज पार्टी ने चुनाव लड़वा कर देश में तहलका मचा दिया था। अकेले उत्तर प्रदेश से ही 85 में 54 उम्मीदवार लड़वाये गए थे। बहनजी का यह पहला चुनाव था जोकि उन्होंने कैराना सीट से लड़ा था। यह वह दौर था कि कैराना सीट पर दबंगों की गुंडागर्दी के कारण कोई चुनाव लड़ने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पाता था तब बहनजी ने पुरुषों से कहा था कि आप लोग चूड़ियां पहनियेगा मैं कैराना से चुनाव लड़ूँगी और आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 154 बसपा प्रत्यशियों में बहनजी को ही सबसे ज्यादा मत 44,445 मत मिले थे।
उसके बाद उत्तर प्रदेश से वोट मिलने में हमारे इटावा की बारी थी । इटावा से श्री लाल सिंह वर्मा ( लोधी ) को हमलोगों ने चुनाव लड़वाया था। लेकिन बड़े ही अफसोस के साथ बताना पड़ रहा है कि यह चुनाव के नतीजे आने के दूसरे दिन ही बसपा द्वारा नेता बनते ही भाजपा में भाग गए थे। जब साहब ने बसपा प्रत्यशियों को नतीजे आने के बाद सम्मानित करने के लिए दिल्ली में कार्यक्रम आयोजित किया था तो मंच से बार बार श्री लाल सिंह वर्मा का नाम पुकारा जाता रहा तब मेरे द्वारा बताया गया कि वह दिल्ली नहीं आये हैं वह भाजपाई हो गए हैं ( उत्तर प्रदेश के 54 प्रत्याशियों की लिस्ट संलग्न है )।
मान्यवर कांशीराम साहब ने 1984 का चुनाव मध्यप्रदेश के जांजगीर लोकसभा क्षेत्र से लड़ा था तब तक छत्तीसगढ़ प्रदेश नहीं बना था। आज अपने संग्रहालय से आपको साहब के जांजगीर, चुनाव का नतीजा भी उपलब्ध करवा रहा हूँ । जोकि निम्न प्रकार था :-
मतदाताओं की कुल संख्या : 7,22,845
कुल मतदान : 3,78,143
अवैध मतों की संख्या : 13,505
प्रभात कुमार मिश्रा ( कांग्रेस-आई ) : 2,13,710 निर्वाचित
बद्रीधर दीवान ( बीजेपी ) : 61,580
कांशीराम ( निर्दलीय ) : 32,135
इस चुनाव हेतु पूरे देश भर से बामसेफ ने यूनिट के लोगों ने धनसंग्रह भी किया था । मैं खुद 06 दिसंबर 1984 को अपनी इटावा यूनिट का तेईस सौ रुपये, रात नौ बजे श्री मनोहर आटे जी को जमा करने केंद्रीय कार्यालय, हरध्यान सिंह रोड, दिल्ली पहुँचा था लेकिन प्रायः हर बार की तरह यह पहला मौका था जब साहब से मुलाकात नहीं हो सकी थी, कारण उसी दिन साहब जांजगीर के लिए अपने चुनाव लड़ने के वास्ते निकल चुके थे।
आपको तत्कालीन एक जानकारी और देकर अपनी बात समाप्त करूँगा। उस समय इस तरह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नहीं था केवल भारत सरकार का दूरदर्शन ही हुआ करता था और प्रिंट मीडिया ही था। अब तत्कालीन समय में इस मेनस्ट्रीम मीडिया के दोगलेपन के बारे में भी कुछ जान लीजिएगा। तब एक पार्टी बाबा जयगुरुदेव ( यह भी मूलरूप से इटावा के ही यादव थे ) की दूरदर्शी पार्टी हुआ करती थी इस पार्टी ने भी अपने कुछ प्रत्याशी केवल उत्तर प्रदेश में ही 1984 के लोकसभा चुनाव में उतरे थे तो इस दोगले, धूर्त मेनस्ट्रीम मीडिया ने यानी कि भरत सरकार ने अपने दूरदर्शन के डिस्प्ले बोर्ड में दूरदर्शी पार्टी का नाम लिखकर उसे प्रदर्शित किया था, नतीजे घोषित होते समय। जबकि वह पार्टी भी बहुजन समाज पार्टी की तरह ही उस समय तक केवल पंजीकृत पार्टी हुआ करती थी।
आजतक उसका कोई भी विधायक तक नहीं बन सका है। लेकिन दूरदर्शी पार्टी का दूरदर्शन व प्रिंट मीडिया ने भरपूर प्रचार प्रसार किया गया था जबकि उसी के साथ वाली पार्टी बहुजन समाज पार्टी के प्रत्यशियों को निर्दलीय के तौर पर दिखया गया। तब से आज तक यह मीडिया का दोगलेपन का रवैया बरकरार है
आप लोगों ने गौर किया ही होगा। इसमें रत्तीभर भी बदलाव नहीं आया है ऐसी
ऐसी ही विषम परिस्थितियों में बहुजन समाज पार्टी है कि लगातार बढ़ती ही जा रही है। आज की बात बस यहीं तक, मिलते हैं अगले एपिसोड में,
by- #Sobran_Singh
